बिशुनपुर से ग्राउंड रिपोर्ट / गांधी अनुयायियों के क्षेत्र में बेकारी; माइंस बंद होने से 30 हजार लोग बेरोजगार

बिशुनपुर (पंकज त्रिपाठी). गांधीजी के अनुयायी टाना भगतों की भूमि है। दूसरा, चुनाव में वोट बहिष्कार का फरमान। न कहीं झंडा-बैनर और ना कहीं प्रचार। गांवों में बाहरी प्रत्याशियों की इंट्री बंद। यह वही क्षेत्र है जहां वर्ष 2015 में नक्सलियों का फरमान था कि हर परिवार एक बच्चा पार्टी को देगा। 15 बच्चों को नक्सली साथ भी ले गए थे। इसके बाद यहां सरकार नहीं, नक्सलियों का फरमान चलता था।


पर अब स्थिति बदली है। लोग अब आपसे ज्यादा तहकीकात नहीं करेंगे। इसलिए कि इस बार नक्सलवाद का मुद्दा गायब है। अच्छी सड़कें हर बड़े गांव में मिल जाएंगी। सड़कों के किनारे बसे गांवों में बिजली भी दिखेगी। खेतों में फसल लगी है। पर अभी जब चुनावी सरगर्मी है, तो हर ओर सन्नाटा है। जबकि वोट बहिष्कार का कोई फरमान नहीं है। बिशुनपुर-लोहरदगा क्षेत्र में बाक्साइट का खनन और इसका ट्रांसपोर्टेशन जीविका का मुख्य आधार है। इसके ठीक रहने से किसानों को खेती के लिए पैसे मिलते हैं और व्यवसाय ठीक रहता है। लेकिन, पिछले साल दिसंबर के अंत से हिंडाल्को के माइंस बंद हैं। यहां चलने वाली लगभग बारह सौ गाड़ियां बंद हैं। इनमें काम करने वाले तीस हजार से अधिक लोग बेरोजगार हैं।



यहां से लगभग 25 किमी ऊपर पहाड़ी पर नेतरहाट की सुंदर वादियों में भी ट्रांसपोर्टेशन बंद होने का असर साफ दिखता है। जो गाड़ी के धंधे में थे वे राज्य से बाहर चले गए हैं। पिछले पांच साल में यहां की सड़क बहुत अच्छी बन गई, अब अधिक लोग आने लगे हैं। लेकिन, काम की व्यवस्था नही बढ़ी है।


चुनाव के बड़े मुद्दे-काम के मौके बढ़े ही नहीं



  • बेरोजगारी: माइनिंग और ट्रांसपोर्टेशन की पहचान वाले इस क्षेत्र में अन्य नौकरियों के दूसरे अवसर बढ़े ही नहीं। यही कारण है कि बेरोजगारी बढ़ी और अब लोग नौकरी के लिए बाहर जा रहे हैं। 

  • कॉलेज: शिक्षा का स्तर बढ़ता गया पर, यहां कॉलेज खुले ही नहीं। उच्च शिक्षा के लिए युवाओं को दूसरे शहरों का रुख करना पड़ता है। जो खर्च करने में असमर्थ हैं, उनकी पढ़ाई छूट रही है। 

  • सिंचाई-पेयजल: पठारों पर बसी छोटी बस्तियों के लिए न तो सड़कें बनीं और न ही बिजली पहुंची। खेती के लिए संसाधन भी नहीं बढ़े और सिंचाई और पेयजल के लिए नया कुछ भी नहीं हुआ।


3 चुनावों का सक्सेस रेट



  • 2005 : चंद्रेश उरांव, भाजपा, 24099 वोट, चमरा लिंडा, झामुमो, 23530 वोट

  • 2009 : चमरा लिंडा, आरएकेएपी, 44461 वोट, शिव कुमार, 27751 वोट 

  • 2014 : चमरा लिंडा, झामुमो, 55851 वोट, समीर उरांव-भाजपा, 45008 वोट  



  • सरकारी नौकरी छोड़ लोन पर गाड़ियां लीं। 2019 बर्बादी लेकर आया। फाइनांसर के  डर से गाड़ियां जंगल में छिपाकर रख रहे।- राम कुमार 

  • हिंडाल्को में सबकुछ ठीक है फिर भी सरकारी नीति के कारण उसे खनन का आदेश नहीं मिल रहा। विधायक-सांसद कुछ नहीं कर रहे। - सोहन उरांव

  • नेतरहाट में गाड़ी चलाता हूं। ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है। पिता और चार भाई यहां खदानों के बंद होने पर तमिलनाडु काम करने चले गए। अब मां और भाभियों के साथ अकेला हूं, इसलिए गाड़ी चलाने लगा। -अमित कुमार